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Friday, September 13, 2013

हिंदी का खून हो गया

आज की ताज़ा खबर हिंदी का खून हो गया .... 

अरे फैज़ तुने कुछ सुना कल समाज के एक सभ्य  वर्ग ने हिंदी का गला घोंट कर मार डाला हजारों की भीड़ ने इस हादसे को देखा पर किसी न कुछ भी कहना  उचित नहीं समझा अलबत वो  तालियाँ बजा  रहे थे उक्त घटना के दौरान मै तो सहमा से एक कोने में बैठा रह गया । कुछ कह भी नहीं पाया वहां .........वहां हर  तरफ हिंदी के प्रकांड विद्वान भी बैठे थे पर माता अंग्रेजी के आगे उनकी बोलती बंद थी 

जी हाँ मेरा कैमरा सत्य कह रहा है आज हर  तरफ रोज़ हिंदी का खून हो रहा है पर कोई इस और ध्यान नहीं दे रहा है । आप मेरी इस बात पर अजीब सा मुह बनाएँगे और कहेंगे फैज़ साहब आप का दिमाग तो ठीक है आज कल अंग्रेजी का युग  है कहाँ आप हिंदी की बात कर रहे है , मै  पूछता हूँ ऐसा कब तक चलता रहेगा जब  कोई व्यक्ति या छात्र कहीं नौकरी के  लिए जाता है तो उससे यह पूछा  जाता है की आप की अंग्रेजी कितनी अच्छी  है आती है या नहीं , क्यों कोई हिंदी के लिए ऐसे प्रश्न नहीं पूछता ? आखिर हिंदी से यह सौतेला व्यहवार कब तक करता रहेगा हमारा प्यारा सभ्य  समाज , अभी भी वक़्त है संभल जाइये वरना कुछ नहीं हो सकता इस देश का  खैर मेरा कैमरा तो ऐसे ही बोलता रहता है पर आप ज़रूर बोलिए .. हिन्दी के लिए  बोलिए .....

Saturday, March 23, 2013

" श्री आदिकाल से निरंतर अनशन जी महाराज "

दोस्तों होली का मौका है और कुछ न कुछ चटपटा  हर तरफ दिखाई दे रहा है । कल शाम  मेरा कैमरा भी निकल गया  कुछ चटपटा लेने और ले आया  " श्री आदिकाल से निरंतर अनशन जी महाराज " और उनके भक्तों का साक्षातकार बहुत है मस्ती का समां बन गया था वहां ....आइये कुछ अंश उस साक्षातकार के यहाँ पेश कर रहा हूँ शायद आप को पसंद आये .......

नमस्कार दोस्तों आज हमारे साथ विराजमान है  " श्री आदिकाल से निरंतर अनशन जी महाराज " साथ ही मौजूद है  उनके भक्त सर्वप्रथम अन्ना अनशन हजारे , केजरीवाल उर्फ़ अनशन बाबा , श्रीमती मेनका पेटा अनशन , और इन सभी के साथ है पैसा अनशन उर्फ़ नेता जी ...

हमारा पहला सवाल "श्री आदिकाल से निरंतर अनशन जी महाराज " से महराज ये बताये की आप का नाम अनशन क्यों पड़ा और आप आदिकाल से सतत क्रिया में कैसे पड़े हुए है क्या आप को  नुकसान नहीं पहुचता ? 

श्री आदिकाल से निरंतर अनशन जी महाराज  - देखिये कैमरा बाबु हमारे उद्भव के वक़्त आप तो थे नहीं उस वक़्त अनशन में सच्चाई होती थी हम ऐसे ही ५ -५- महीने टाट पर पाँव  पसारे  पड़े रहते थे । अब न वो भक्त रह गए हमारे न वो मज़ा । लोग हमारे नाम पर बड़ी बड़ी सरकारें हिला  देते है । रामलीला मैदान में उतनी भीड़ राम जी को देखने को नहीं हुई जितनी मुझे देखने को हुई थी । 

तो महराज आप को तो खुश होना चाहिए .....

अन्ना अनशन हजारे जी आप बताइए कैसा लगता है आप को अनशन जी महराज का साथ ?

अन्ना अनशन हजारे- देखिये मै  इनका बहुत बड़ा भक्त हूँ और इनकी शक्ति किसी नुक्लीयेर बम से कम नहीं है जहाँ ये सच्चे मन से आते है वहां की सर्कार परेशां हो जाती है धन्य हो अनशन जी महराज ...

अन्ना अनशन हजारे जी हमने देखा है की आप के मंच पर बहुत लोग अनशन महराज की शरण में थे किन्तु कुछ मतभेद भी थे  क्या ? कुछ लोग मंच के पीछे जा कर जूस का लाभ उठा रहे थे क्या 

अन्ना अनशन हजारे - अरे नहीं नहीं यह सारा सर गलत है ऐसा कुछ नहीं हुआ ये सब तो आप लोगों की झूटी रिपोर्ट है ।  

श्री आदिकाल से निरंतर अनशन जी महाराज - नहीं कैमरा बाबु आप सही कह रहे है ये सभी लोग बारी बारी  से जा के पीछे जूस पीते थे और हमारा नाम ख़राब कर रहे थे पब्लिक  को पता चलता तो उसी झंडे के डंडे से इनकी पिटाई कर देते वही इन सब की, बड़े भक्त बने फिरते है हमारे । 

अनशन बाबा केजरीवाल जी आप बताये आप को अनशन पर बैठने की बचपन से आदत है या सिर्फ ऐसे ही मस्ती करने के लिए बैठ जाते है आप ?

केजरीवाल उर्फ़ अनशन बाबा - देखिये अनशन जी महराज मेरी रग रग  में बसे है मई उनका परम भक्त हु बचपन में भी  जब माँ मुझे सामान नहीं देती थी तो मै  अनशन पर बैठ जाता था और अब तो मई अनशन पर बैठने का आदि हो गया हूँ क्योंकि मई आम आदमी पार्टी हो गया हूँ  और एक खास बात आप अपने यहाँ छापियेगा मत अनशन की वजह से कोई न कोई अख़बार मुझे एक कोने में रोज़ जगह तो देता है न । तो बोलो कौन न जाएगा भला अनशन बाबा की शरद में । 
 मेनका पेटा  अनशन जी आप नित्य तो नहीं हाँ पर अनशन करती है जानवरों के लिए क्या इसकी कोई खास वजह  ?

मेनका पेटा अनशन - देखिये हमारे घर में कई सरे जानवर थे जब मै  शादी कर के आई जिसमे कुछ इटालियन थे तो मैंने वहां से अनशन पर बैठने की शुरुआत की अनशन महराज  की वजह से मई आज जिंदा हूँ।   

और आप का क्या विचार रहता है अनशन के बारे में पैसा अनशन जी आप तो पैसा मिला और अनशन पर बैठ गए जूस फल तो नित्य प्रतिदिन मिलाता ही होगा आप को साथ ही रत में दूध मलाई भी 

श्री आदिकाल से निरंतर अनशन जी महाराज - कैमरा बाबु इसे पकड़ो मै  बताता हु इसने तो मेरा नाम ही डूबा दिया है पिछले ५०  साल में मै  मजाक बन गया हु  इसको तो मई अपने साथ ले जाऊँगा ताकि इसकी साडी प्रक्रिया बंद हो जाए पकड़ो इसे 

भागो भागो ... अरे रुकिए तो आप लोग ..........अरे नहीं भागो यहाँ से ....

लीजिये ये लोग यहाँ से भाग गए .. और जानते है आज सुबह  से क्या हो रहा है मेरे घर के सामने .... कैमरे को गिरफ्तार करो  अनशन  पैसा नेता अनशन  का २ दिवसीय अनशन 

बुरा न मनो होली है ...........



Friday, October 26, 2012

टोपी बाज़

लीजिए एक नया मंच तैयार हो रह है  जो देश की गरीब जनता को टोपी पहनायेगा , कल तक यही लोग देश की असहाय जनता के दुःख दर्द का साथी बनने  का एलान  कर रहे  थे आज उसे ही छलने निकल पड़े है , देश की ज़रुरत के लिए कहते उन्हें पार्टी बनानी पड़ रही है । सही कहा था मेरे कैमरे ने की जब सविधान सभा के बाद आज तक किसी सभा ने बिना किसी घोटाले के  काम नही किया तो ये भ्रष्टाचार  के दादा लोग क्या करेंगे जो इसे ख़त्म करने की बात करते हैं । जब जनाब केजरीवाल साहब ने साल भर में तीन टोपियाँ बदल डाली तो यदि उन्हें देश की बागडोर दे दी हमारी भेड़  सरीखी जनता ने तो वो उसे 5 साल में कितनी टोपियाँ पहन्येंगे .... अभी भी वक़्त है  भेड़  की खाल  में छुपे भेडिये  को पहचानिए .............. 

Saturday, October 20, 2012

हम भस्मासुर

आप सभी को नवरात्री की हार्दिक बधाई पर आज जो  मैंने देखा उससे मेरा  मन विचलित हो  गया , सुबह के  अख़बार पर  नज़र पड़ने  के बाद कुछ अच्छा नहीं लग रहा  है ,  एक तरफ नवरात्र में लोग माँ  दुर्गा के  शीश नवा  रहे है वही दुसरे माँ दुर्गा के रूप नारी को दहेज़ की बलिवेदी   पर चढ़ा रहे है   और उन्हें इस की ज़रा भी शर्म नहीं है ...चरों तरफ जहाँ महिला सुरक्षा की बात  की जा रही है माँ दुर्गा की आरती चल रही है उस देश में महिलाओं का यह  हाल है , अब तो हद  ही हो  गयी है । 

लोग बेटियों को पढ़ना नहीं चाहते पर माँ दुर्गा से  आशीर्वाद की उम्मीद है , माँ के गर्भ में  ही लड़की की  हत्या करने का घिनौना पाप कर रहे  है पर माँ दुर्गा से संतान प्राप्ति के इच्छुक है ।  क्या यह  सही है ,जिस माँ की हम पूजा करते है  क्या वो  स्त्री नहीं है फिर बेटियों से यह सौतेला व्यहवार  क्यों  अभी भी वक़्त है वरना वह दिन दूर नहीं जब हम भस्मासुर की तरह स्वयं का नाश कर लेंगे । 

 इस नवरात्री  संकल्प करे  की हम स्त्री जाती को सामान दर्जा देंगे ...   

Saturday, September 8, 2012

शिक्षा दिवस या छुट्टी

आज शिक्षा  दिवस है , चरों तरफ शिक्षा के प्रचार प्रसार की बातें हो रही है । इन्ही बैटन के बीच मै  आज कुछ काम से अपने विश्वविद्यालय पहुंचा , वहां के प्रसिद्द हॉट स्पोट पर मैंने जो मंज़र देखा उसे देख  विचलित हो गया जहाँ एक तरफ विश्वविद्यालय के छात्र वहां अपनी पढाई के बारे में बातें कर रहे थे वही चाय की एक दुकान पर एक 12 साल का लड़का उन छात्रों के बीच चाय पहुचाने    में लगा हुआ था . किसी की नज़र उस के ऊपर नहीं गयी शायद या फिर किसी  को यही याद  नहीं था की आज शिक्षा  दिवस है हाँ कुछ  छात्र ये ज़रूर कह रहे थे आज तो विश्वविद्यालय में छुट्टी है । क्या यही सही है की हम शिक्षा  दिवस को छुट्टी मनाए । राहुल जैसे बच्चे क्या  ऐसे ही हमें चाय परोसते रहेंगे .....!!!!! 

आइये कुछ करें वरना वक़्त निकल जाएगा हमारे हाँथ से ......  

Saturday, August 25, 2012

"असलम के अब्बू मरे या बचे "

यार कैमरे लगता है मेरा असलम अपने अब्बू से मिलने दुबई  नहि जा पाएगा और उसकी यह दशा मुझसे नहीं देखि जाती । बेचारे ने कितने ही चक्कर लगाये है पासपोर्ट ऑफिस बनारस के पर वहां से एक ही जवाब आता है की जाओ किसी प्रशासनिक अधिकारी से यह फार्म भरवा के लाओ साथ में उसकी सार्विस पहचान पत्र की जीरोक्स भी ले के आना वरना तुम्हारा अर्जेंट पासपोर्ट नहीं बन पाएगा , अरे यार फैज़ अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो बेसहारा तो अपने अब्बू से मिलने नहीं जा पाएगा और वक़्त पर नहीं पहुंचा तो उसके अब्बू को कुछ भी हो सकता है , हाँ अब तो ऊपर  वाला ही कुछ कर सकता है .....

जी हाँ यह सच है जब से पासपोर्ट ऑफिस की प्राइवेट ब्रांच खुली है शहर में तब से यदि  आप को अर्जेंट  पासपोर्ट बनवाना है तो आप को किसी प्रशासनिक अधिकारी के सार्विस कार्ड का फोटो कॉपी भी मांगी जा रही है । जब पता लगाया गया तो पता चला की पहले  भी यह नियम था  पर इतनी सख्ती नहीं थी पर अब है । ऐसी सख्ती किस काम की कौन ऐसा प्रशासनिक अधिकारी है जो अपने सर्विस कार्ड की फोटो कॉपी देने को तैयार होगा .. उसे इससे कोई मतलब नहीं की "असलम के अब्बू मरे या बचे " 

आप सभी से निवेदन है इस व्यवस्था का कोई इलाज ढूंढें  वरना स्थिती  गंभीर हो जाएगी 

Wednesday, August 22, 2012

"ज़ार-ज़ार रोई शहनाई"

यार फैज़ देखा कैसे समाज भूल जाता है लोगों को ........अरे नही समाज नही भूला ये तो सरकार है जो भूल गई  ,वरना सभी सामजिक लोग पहुचे थे वहां । ..........

आप सोच रहे होंगे की मै किस के बारे में बात कर रहा हूँमै भारत के उस नायब रत्न की बात कर रहा हूँ जिसकी भरपाई सदियों तक कोई नही कर सकता ....भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब की जिनकी कल पाँचवी पुण्यतिथि थी । ...जब मै वहां पहुँचा तो वहां उनके चाहने वालों का तांता लगा हुआ थासभी नम आंखों से उन्हें श्रधा सुमन अर्पित कर रहे थे ।  । उनके छोटे पुत्र जामिन हुसैन उनकी कब्र के बगल में बैठे उनकी पसंदीदा मातमी धुन "मारा गया है तीर से बच्चा रबाब का " और परदेस में बहेन को चले हो किस पे छोड़ के "बजा रहे थेजिसे वो हर साल मोहरम के महीने में मुहर्रम को बजाते थे जिसे सुन ने के लिए दुनिया के कोने कोने से लोग आते थेलेकिन आज उनकी पुण्यतिथि पर शहर का सांस्कृतिक जगत  भूल गया ....क्या एक भारत रत्न की यही इज्ज़त है हमारे देश में

जब खान साहब का देहावसान हुआ था तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने यह घूश्ना की थी की खान साहब की कब्र की जगह पर एक भव्य मकबरा बनवाया जाएगा तथा लखनऊ में एक संगीत एकादमी तथा लाख रूपये के संगीत अवार्ड का एलान किया थापर आज तक नाटो मकबरा ही बना और नाही कुछ और ...इस बात से उनके चाहने वालों में काफ़ी रोष दिखा ।आज एक बार फिर वही लोग सत्ता में है पर कोई भी उनका प्रतिनिधि यहाँ नहीं मैजूद था 

बात की तह तक जाने के लिए मेरे कैमरे ने बात की उनके परिवार वालों से ....जिनका कहना था की सरकार तो हमें भूल सी गई है जब "अब्बा " जिंदा थे तो सब आता था लेकिन अब तो कोई पूछता भी नही । आज सभी प्रशासनिक अधिकारी  शहर मेयर मोहले  जी और  विधायक अजय राय जी आए समाज सेवी दयाशंकर मिश्र दयालू जी भी पहुचे ।

हमने बात की उनके परिवार से जुड़े सैयेद मुनाजिर हुसैन "मंजू" से जिनके यहाँ से उठने वाले मुहर्रम के जुलूस में "उस्ताद" शहनाई पर आँसू का नजराना पेश करते ............"मेरे हिसाब से मामले को बहुत ज़्यादा खींचा जा रहा है जो मकबरे के लिए ज़मीन का विवाद है ,प्रशासन की ये जो उदासीनता है ,खान साहब के सम्मान के प्रति ठीक नही ....

आप ही बताइए की क्या हमारे देश के नायाब हीरों की यही कदर होगी उनके मरने के बादअगर ऐसा ही चलता रहेगा तो कल को कोई गांधी जी और जवाहर लाल नेहरू जी को भी नही पुछेगा । आज शहनाई रोई है कल पूरा हिन्दुस्तान रोयेगा ..............

Tuesday, August 14, 2012

15 अगस्त का दर्द

यार फैज़ कल 15 अगस्त है , आज़ादी का पर्व मुझे एक स्टोरी करनी है 15 अगस्त के बारे में कुछ आइडिया दे कहाँ जाओं की मुझे जनता से बात करने  का मौका मिले । कैमरे तू  ऐसा कर सुबह उठ कर झंडा रोहण के बाद पार्क ,शापिंग माल , या फिर गंगा के उस पर चले जाना बहुत से लोग मिल जाएँगे वहां 15 अगस्त पर बात करने वाले , पर एक कडवी सच्चाई भी जान  ले की वो सब वहां सिर्फ मस्ती  के मूड में गए होंगे उनके लिए 15 अगस्त सिर्फ एक छुट्टी का दिन है न की आज़ादी का पर्व जिसे हमारे पूर्वजों ने बड़ी मुश्किल से पाया है जिसकी वजह से आज हम सर उठा के जीते है । सही कहा फैज़ कल मैंने जब कालोनी के लड़कों से पुछा तो वो बोले कैमरा भैया 15 अगस्त को हमारी छुट्टी है हम फिल्म देखने जाएँगे . किसी ने कहा की मम्मी पापा पिकनिक पर चलेंगे हम सब को ले कर ..मैंने  जब पूछा की हम  15 अगस्त क्यों मानते है तो सिर्फ  एक बच्चा ही बता पाया की उस दिन हमें आज़ादी मिली थी और जानते हो वो बच्चा बगल के रमेश भाई के यहाँ वेल्डिंग का काम करता है पढता नहीं है । आखिर कैसे जगेगा देश जब हमारी आने वाली पीढ़ी देश का इतना अहेम दिन भूल जाएगी तो क्या होगा । अगर हम आज नहीं जगे तो कल क्या होगा आइये एक संकल्प ले की कल हम 15 अगस्त के बारे में लोगों को जागरूक भी करना है वरना यहाँ दिन महज़ छुट्टी का दिन हो कर रह जाएगा ।

Friday, August 3, 2012

एक और राजनितिक पार्टी का निर्माण

रालेगढ़ सिद्धि में आज जश्न का माहौल है .क्योंकि कल ही बाबा अन्ना हजारे ने यह एलान किया है की हम एक राजनितिक पार्टी का गठन जो देश के हित में होगी करने जा रहे है ,पिछले 60 सालों में जो पिछली पार्टियाँ  नहीं कर पाई वह हम कर दिखेंगे  पर इस जश्न का एक कारन और  भी है की अब गाँव के प्रधान बात कर रहे  है की हम भी कही न कही से विधायकी का टिकट मिल जाएगा अब हमारे भी दिन ठाठ से गुजरेंगे ,कोई कह रहा है की हमें पार्टी का सचिव  बना दे बस अन्ना बाबा देखना फिर पार्टी नयी उचाईयों को छुएगी ,सिर्फ अन्ना जी के घर ही क्यों ,अरविन्द जी  कुमार विश्वास जी , किरण बेदी जी सभी के करीबी इस आस में जश्न मन रहे है की अब हमें पार्टी में उचा कद मिलेगा और  हम भी अन्य विधायकों की तरह ठाठ से घूमेंगे । गलती इन लोगों की नहीं है गलती अन्ना जी की है जो पुराने लोगों से सीख नहीं ले रहे है जब  60 साल में किसी पार्टी ने देश के हलात नहीं सुधारे तो कोई और क्या सुधार  पायेगा आप के अन्दर वह काबिलियत बिला -शक  है पर महोदय एक कहावत है "अकेला चना भाड नहीं फोड़ता" अभी  भी वक़्त है ऐसा कोई फैसला न लीजिये जिसकी वजह से आप को ही नहीं   देश को भी पछताना पड़े  .....................................  



Wednesday, March 7, 2012

होली मुबारक हो ! ! ! ! ! !


होली के इस पवन पर्व पर ब्लॉग जगत के सभी अल्हड और मदमस्त ब्लोगियों को मेरी और मेरे कैमरे की तरफ से होली की हार्दिक शुभकामनाये | आप सभी से मेरा अनुरोध है की इस होली पर सभी गिले शिकवे भूला कर अपने प्रतिद्वान्धियों को भी गले लगाये , अपने पड़ोसियों के साथ ऐसा कुछ करें की होली का रंग फीका पड़ जाए | आप सभ्गी प्राकृतिक गुलाला का प्रयोग करे ताकि किसी भी प्रकार की परेशानी इस उल्लास के पर्व पर आप को उठानी पड़े | इस पर्व को भारतीय अखंडता और एकता के साथ मनाये किसी पर अनावश्यक रंग डाले यदि वह मना कर रहा हो | घर में होली का पर्व भारतीय मर्यादा का पालन करते हुए खेले | ............
और आखिर में इस बनारसी की तरफ से आप सभी को भंग की ठंडी हवा और ठंडे की गरमी के साथ होली की बहुत बहुत शुभकामनाये ...होली है ! ! ! ! ! ! !